पहाड़ी गुफाओं से निकले शिलाजीत में ऐसा क्या ख़ास है?🌳🧐🧐🤔🤔
आयुर्वेद के अनुसार शिलाजीत की उत्पत्ति पत्थर से हुई है। गर्मी के मौसम में सूर्य की तेज गर्मी से पर्वत की चट्टानों के धातु अंश पिघल कर रिसने लगता है। इसी पदार्थ को शिलाजीत कहा जाता है।
यह देखने में तारकोल की तरह काला तथा गाढ़ा होता है जो सूखने के बाद एकदम चमकीला रूप ले लेता है। यह देखने में काफी कडवा, कसैला, गर्म तथा वीर्यवर्धक होता है।
शिलाजीत का मुख्य उद्देश्य शरीर का बल देकर उसे स्वस्थ, शक्तिशाली तथा पुष्ट बनाना होता है। शिलाजीत के सूखने पर उसमें गौमूत्र जैसी गंध आती है।
इसके सेवन के न केवल सेक्स पॉवर बढ़ती है वरन इसके शरीर पर कई अन्य प्रभाव भी होते हैं जिनकी सहायता से बुढापा भी दूर रहता है।
इस दवा के प्रयोग से सभी बीमारियां दूर होकर शरीर पुन: युवा हो जाता है और शरीर में घोड़े की सी ताकत आ जाती है।
शिलाजीत का प्रयोग शीघ्रपतन की समस्या दूर कर वीर्यवर्द्धन के लिए किया जाता है। स्वप्नदोष की समस्या दूर करने के लिए भी शिलाजीत का प्रयोग किया जाता है।
इससे व्यक्ति की न केवल शारीरिक क्षमता में सुधार आता है वरन उसका बूढ़ा शरीर भी 20 वर्ष के जवान की तरह हो जाता है शिलाजीत से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
शिलाजीत का सुबह शाम दूध तथा शहद के साथ सेवन करने से शरीर बीमार नहीं पड़ता है। छोटे-मोटे इंफेक्शन ऎसे लोगों से दूर ही रहते हैं।
शिलाजीत का प्रयोग ब्लड़प्रेशर को नॉर्मल करने में भी किया जाता है।
शिलाजीत के प्रयोग से रक्त शुद्ध होकर नसों में रक्तसंचार बढ़ता है जिससे पूरे शरीर में कान्ति उभरती है तथा शरीर में ताकत आती है।
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